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||◆राजस्थान की प्रमुख दरगाह और उनके स्थल◆◆||
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1. दरगाह ख्वाज़ा मुइनुद्दीन चिश्ती 👉अजमेर
2. दरगाह ख्वाज़ा फखरुद्दीन चिश्ती👉 सरवाड़, अजमेर
3. दरगाह हिसामुद्दीन चिश्ती👉सांभर झील, जयपुर
4. दरगाह सूफी हिसामुद्दीन चिश्ती👉नागौर
5. दरगाह फखरुद्दीन शरीफ (दाउदी बोहरा संप्रदाय की दरगाह) 👉गलियाकोट, डूंगरपुर
6. दरगाह मौलाना ज़ियाउद्दीन साहब 👉जयपुर
7. दरगाह हजरत अमानीशाह 👉जयपुर
8. दरगाह मिस्कीन शाह 👉जयपुर
9. दरगाह शेख मोहम्मद दरवेश 👉मोती डुंगरी, जयपुर
10. दरगाह शेख अलाउद्दीन 👉सांगानेर, जयपुर
11. दरगाह हाजिब शक्करबर शाह (पीर शक्कर बाबा) 👉 नरहड़ , झुंझुनूं
12. दरगाह हजरत दीवान ए शाह 👉 कपासन, चित्तौड़गढ़
13. दरगाह हजरत चलफिरशाह 👉चित्तौड़गढ़
14. दरगाह तारागढ़ 👉अजमेर
15. चिल्ला बड़े पीर साहब 👉अजमेर
16. दरगाह अब्दुल वहाब (बड़े पीर साहब)👉नागौर
17. दरगाह हजरत जमालुद्दीन साहब 👉दौसा
18. दरगाह मस्तान शाह बाबा 👉पाली
19. दरगाह दुल्ले शाह उर्फ चोटिले शाह 👉पाली
20. दरगाह अब्बनशाह 👉प्रतापपुरा, सांचौर (जालौर)
21. दरगाह दौलतशाह बाबा 👉चौमूं, जयपुर
22. दरगाह शेरों के पिनकारे वाले बाबा👉कोटा
23. दरगाह आधर सिल्ला 👉कोटा
24. दरगाह रोले 👉नागौर
25. दरगाह बाला पीर 👉कुम्हारी, नागौर
26. दरगाह अम्बावगढ़ 👉उदयपुर
27. दरगाह इमरत रसूल 👉उदयपुर
28. दरगाह अफजल शाह उर्फ कोड़े शाह 👉जोधपुर
29. दरगाह मसीउल्लाह 👉मंडौर रोड, जोधपुर
30. दरगाह सिफ़त हुसैन👉जोधपुर
31. दरगाह बुरहानुद्दीन 👉ग्राम तला, जयपुर
32. दरगाह रुकनुद्दीन 👉दाउदपुर, अलवर
33. दरगाह कमरुद्दीन शाह (कयामखानियों के पीर) 👉झुंझुनूं
34. दरगाह नजमुद्दीन परवाना👉फतेहपुर शेखावटी, सीकर
35. संत हमीदुद्दीन या सुल्ताने तारकीन शाह की दरगाह 👉 नागौर
36. काकाजी की दरगाह 👉प्रतापगढ़
37. संत हजरत हमीदुद्दीन चिश्ती/ मिट्ठे शाह/ महाबली सरकार/शहंशाहे मालवा की दरगाह 👉 गागरोण किला (झालावाड़)
38. दरगाह सैयद बादशाह 👉शिवगंज (सिरोही)
39. दरगाह कबीर शाह 👉करौली
40. दरगाह हजरत अब्दुल गनी बाबा 👉नाथद्वारा
DSSSB NTT RESULT RETWEET KRO, & TWEET KRO
मुख्यमंत्री महोदय

@ArvindKejriwal

जी , DSSSB Assistant Nursery Teacher (16/19) Vacancy का रिजल्ट अभी तक जारी नहीं किया गया है, कृपया NTT 16/19 भर्ती का रिजल्ट जल्द जारी कीजिए |

@msisodia

@CMODelhi

#dsssb_pending_results #DSSSB_Nursery_teacher_Result #Dsssb_NTT2019_Result
आधुनिक ऐतिहासिक ग्रन्थ एवं इतिहासकार

आधुनिक ऐतिहासिक ग्रन्थ एवं इतिहासकार
1.    कर्णल जैम्स टॉड 
    जैम्स टॉड का जन्म 20 मार्च 1782 को इंग्लैण्ड के इस्लिंगटन नगर में हुआ था।
    1798 में टॉड सैनिक के रूप में इण्डिया कम्पनी में सेवा करने लगे।
    1817 - 1822 के मध्य ये मेवाड़ व हाड़ौती क्षेत्र में पोलिटिकल एजेन्ट के पद पर रहे।
    1818 में कर्णल जैम्स टॉड के सहयोग से मेवाड़ महाराणा भीमसिंह ने अंग्रेजों से सहायक संधि की।
    कर्णल टॉड ने घोड़े पर बैठकर राजपूत राज्यों के इतिहास से सम्बन्धित सामग्री जुटाई इसलिए इन्हंे घोड़े वाले बाबा के नाम से भी जाना जाता है।
    1829 में उन्होंने अपनी पहली पुस्तक एनाल्स एण्ड एंटीक्विटीज ऑफ राजस्थान लिखी।
    उनकी इस पुस्तक का सम्पादन विलियम क्रुक ने किया।
नोट:- कर्णल टॉड की इस पुस्तक को दी सेन्ट्रल एण्ड वेस्टर्न राजपूत स्टेट्स ऑफ इण्डिया भी कहा जाता है।
    कर्णल टॉड ने इस पुस्तक में ही राजपूताने के लिए सर्वप्रथम राजस्थान/रायथान /रजवाड़ा आदि शब्दों का प्रयोग किया।
    कर्णल टॉड ने इस पुस्तक में लिखा है कि राजस्थान में कोई छोटा सा राज्य भी ऐसा नहीं है जहां थर्मोंपोली जैसी रणभूमि न हो और शायद ही ऐसा कोई नगर मिले जहां लियोनाइडस जैसा वीर पुरूष पैदा नहीं हुआ हो।
नोट:- कर्णल टॉड की इस पुस्तक का हिन्दी अनुवाद डॉ0 गौरीषंकर हीराचन्द ओझा ने किया।
    कर्णल टॉड ने इस पुस्तक में राजस्थान के इतिहास का पहली बार विस्तृत एवं वैज्ञानिक विवरण किया इसलिए इन्हें राजस्थान के इतिहास का जनक तथा राजस्थान के इतिहास का पिता या पितामह भी कहते है।
    1835 में कर्णल टॉड की मृत्यु हो गई।
    इनकी मृत्यु के बाद इनकी पुस्तक पष्चिम भारत की यात्रा/ट्रेवल्स इन सैन्ट्रल एण्ड वेस्टर्न राजपूत स्टेट्स ऑफ इण्डिया 1839 में प्रकाषित हुई।
2.    डॉ0 एल0 पी0 टैस्सीटॉरी (लुइजि पियो टैस्सीटॉरी)
    इनका जन्म 13 दिसम्बर 1887 को इटली के उदीने गाँव में हुआ।
    भाषा शास्त्री तथा लिंग्विस्टिक सर्वे आफ इण्डिया के लेखक जार्ज ग्रियर्सन के निमंत्रण पर टैस्सीटॉरी सर्वप्रथम भारत में 8 अप्रैल 1914 को दिल्ली आए।
    दिल्ली से वे राजस्थान में सर्वप्रथम जोधपुर तथा बाद में बीकानेर राज्य में आए।
    बीकानेर महाराजा गंगासिंह ने इन्हें चारण साहित्य के सर्वेक्षण एवं संग्रह का कार्य सौंपा।
    डॉ0 टैस्सीटॉरी ने राजस्थान चारण साहित्य व ऐतिहासिक सर्वे नामक पुस्तक लिखी।
    अपनी कार्यस्थली बीकानेर में ही इन्होंने दूसरा ग्रन्थ पष्चिमी राजस्थानी का व्याकरण लिखा।
    बीकानेर में ही 22 नवम्बर 1919 को इनकी मृत्यु हो गई।
    बीकानेर में इनका स्मारक बना हुआ है।
3.    सूर्यमल मिश्रण
    इनका जन्म 1815 में बूंदी में हुआ।
    सूर्यमल मिश्रण बूंदी के महाराव रामसिंह के दरबारी कवि थे।
    रामसिंह के कहने पर इन्होंने 1840 में वंष भास्कर लिखना शुरू किया लेकिन महाराव से अनबन होने पर इन्होंने इसे बीच में ही छोड़ दिया।
    इनके दत्तक पुत्र मुरारीदान ने वंष भास्कर को पूरा किया।
    1868 में इनकी मृत्यु हो गई।
    सुर्यमल मिश्रण ने निम्न ग्रन्थों की रचना की - वंष भास्कर, वीर सतसई, बलबुद्धि विलास, छन्दो मयूख, रामरंचाट, सती रासौ, धातु रूपावली आदि।
नोट:- वंष भास्कर में बूंदी राज्य का वर्णन तथा वीर सतसई में 1857 की क्रान्ति का वर्णन है।
4.    गौरीषंकर हीराचन्द ओझा
    इनका जन्म 1863 में सिरोही राज्य के रोहिड़ा गांव में हुआ।
    इन्होंने 1911 में सर्वप्रथम सिरोही राज्य का इतिहास तथा बाद में क्रमषः उदयपुर, डूँगरपुर, बांसवाड़ा तथा बीकानेर राज्य का इतिहास लिखा।
    इन्हंे प्रथम पूर्ण राजस्थान का इतिहासकार कहा जाता है।
    इन्होंने हिन्दी में पहली बार भारतीय प्राचीन लिपि का शास्त्र लिखा था।
    1914 में इन्हें रायबहादूर की उपाधि मिली।
    17 अप्रैल 1947 को रोहिड़ा गाँव में इनकी मृत्यु हो गई।
5.    कविराजा श्यामलदास
    इनका जन्म भीलवाड़ा के छालीवाड़ा गाँव में 5 जुलाई 1836 को हुआ।
    मेवाड़ महाराणा शम्भूसिंह ने इन्हें उदयपुर राज्य का इतिहास लिखने का कार्य सौंपा।
    महाराणा सज्जनसिंह ने इतिहास लेखन हेतु इन्हें एक लाख रूपये का अनुदान दिया।
    श्यामलदास ने 1872 - 1892 के मध्य वीर-विनोद नामक प्रसिद्ध ग्रन्थ लिखा।
    महाराणा फतेहसिंह ने इस ग्रन्थ के प्रचलन पर प्रतिबंध लगा दिया।
    भारत की ब्रिटिष सरकार ने इन्हें केसर-ए-हिन्द, मेवाड़ के महाराणा सज्जनसिंह ने इन्हें कवि राजा तथा बाद में महामहोपाध्याय की उपाधि से विभूषित किया।
    1893 में इनका देहान्त हो गया।
6.    मुंषी देवीप्रसाद
    इनका जन्म जयपुर में 18 फरवरी 1848 में हुआ।
    इन्होंने बाबरनामा, हुँमायूनामा, जहांगीरनामा, औरंगजेबनामा आदि फारसी ग्रन्थों का हिन्दी में अनुवाद किया।
    इनके द्वा
रा रचित स्वप्न राजस्थान आधुनिक राजपूत शासकोें के चरित्र का विषुद्ध रूप प्रस्तुत करता है।
    इन्होंने मारवाड़ का भूगोल नामक ग्रन्थ लिखा।
    इन्होंने ही मुहणोत नैणसी को राजपूताने का अबुल फजल तथा बीकानेर के शासक रायसिंह को राजपूताने का कर्ण की संज्ञा दी।
    1923 में इनका जोधपुर में देहान्त हो गया।
    इन्होंने रायसिंह महोत्सव तथा ज्योतिष रत्नाकर रचनाएंे लिखी।
7.    रामनाथ रतनू
    इनका जन्म सीकर में 1860 में हुआ।
    इन्होंने राजस्थान का इतिहास नामक ऐतिहासिक ग्रन्थ लिखा।
    1910 में इनका स्वर्गवास हो गया।
8.    जगदीष सिंह गहलोत
    इनका जन्म 1903 में हुआ।
    इन्होंने तीन खण्डों में राजस्थान का सम्पूर्ण इतिहास लिखा।
    1958 में इनका देहान्त हो गया।
9.    यादवेन्द्र षर्मा ’चन्द्र’
    उपन्यास - हूँ गौरी किण पीवरी, जनानी ड्योढ़ी, हजार घोड़ों का सवार
    नाटक - तास रो घर
    कहानी - जमारो
10.    रांगेय राघव
    उपन्यास - धरौंदे, मुर्दों का टीला, कब तक पुकारूँ, आज की आवाज
11.    मणि मधुकर
    उपन्यास - पगफैरों, सुधि सपनों के तीर
    नाटक - रसगंधर्व, खेला पालमपुर
12.    विजयदान देथा (बिज्जी)
    उपन्यास - तीड़ो राव, मां रौ बादलौ
    कहानी - अलेखूँ, हिटलर, बातां री फुलवारी
13.    षिवचन्द भरतिया
    उपन्यास - कनक सुन्दर (राजस्थानी भाषा का प्रथम उपन्यास)
    नाटक - केसर विलास (राजस्थानी भाषा का प्रथम नाटक)
14.    श्री लाल नथमल जोषी
    उपन्यास - आभैपटकी, एक बीणनी दो बींद
15.    लक्ष्मी कुमारी चुँड़ावत 
    कहानी - मँझली रात, मूमल, बाघो भारमली
16.    कन्हैयालाल सेठिया
    पातल और पीथल, धरती धोरां री, लीलटांस
17.    मेघराज मुकुल - सैनाणी, धरती रो सिणगार
18.    चन्द्रसिंह बिरकाली - बादली, लू
19.    सीताराम लालस - राजस्थानी शब्द कोष
20.    हरिराम मीणा - हाँ, चाँद मेरा है
अन्य रचनाएँ
    खुमाण रासौ - दलपत विजय
    विजयपाल रासौ - नल्लसिंह भाट
    ढोला मारू रा दूहा - कवि कल्लोल
    हाला-झालां री कुण्डलियाँ - ईसरदास बारहठ
    रूक्मणी हरण, नागदमण - साँयाजी झूला
    रामरासौ - माधोदास दधवाडि़या
    विरूद्ध छहत्तरी, किरतार बावनी - दूरसाजी आढ़ा
    नागर समुच्चय - नागरीदास
    शत्रुसाल रासौ - डूँगरसी
    सगतसिंह रासौ - गिरधर आसिया
    टमरकटूँ - राम निरंजन शर्मा ठिमाऊँ
    अर्जुन देव चारण - बोल म्हारी मछली इत्तो पाणी
    रणमल छंद - श्रीधर व्यास
    राव जैतसी रो छंद - बीठू सूजा
    गोरा बादल चरित्र - हेमरत्न सूरि
    पिंगल षिरोमणि - कुषललाभ
Hi
DSSSB NTT CANDIDATES ,

YOU MUST TWEET MININMUM 4 Or 5 ,
START TWEETING AT 9 AM
Daily Updates By nExamHive pinned «Hi DSSSB NTT CANDIDATES , YOU MUST TWEET MININMUM 4 Or 5 , START TWEETING AT 9 AM»
DSSSB NTT RESULT OUT
जिन लोगो ने रिजल्ट देख लिया है, वो steps Ka screenshot share kare , jisse Baki log bhi Dekh paye
Password agr nhi LG raha to forgot kr lo
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2020

कोरोना वायरस की महामारी ने कई चीजों को प्रभावित किया है. इस बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के जगह-जगह होने वाले आयोजन भी फीके रहेंगे. हर साल 21 जून के दिन बड़े-बड़े आयोजन होते थे. इस बार कोरोना वायरस के कारण सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए किसी भी प्रकार का आयोजन नहीं किया जा रहा है.


दुनियाभर में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है. योग के अभ्यास से ना सिर्फ शरीर रोगमुक्त रहता है बल्कि मन को भी शांति मिलती है. हमारी भारतीय संस्कृति का योग अभिन्न हिस्सा रहा है. योग से होने वाले फायदों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए दुनियाभर में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है.

कोरोना वायरस की महामारी ने कई चीजों को प्रभावित किया है. इस बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के जगह-जगह होने वाले आयोजन भी फीके रहेंगे. हर साल 21 जून के दिन बड़े-बड़े आयोजन होते थे. इस बार कोरोना वायरस के कारण सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए किसी भी प्रकार का आयोजन नहीं किया जा रहा है.

प्रधानमंत्री मोदी ने योग पर क्या कहा?

प्रधानमंत्री मोदी ने छठे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय योगदिवस का ये दिन एकजुटता का दिन है. ये विश्व बंधुत्व के संदेश का दिन है. पीएम मोदी ने कहा कि बच्चे, बड़े, युवा, परिवार के बुजुर्ग, सभी जब एक साथ योग के माध्यम से जुडते हैं, तो पूरे घर में एक ऊर्जा का संचार होता है.इसलिए, इस बार का योग दिवस, भावनात्मक योग का भी दिन है, हमारी पारिवारिक बॉन्ड को भी बढ़ाने का दिन है.

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2020 की थीम

संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा कोरोना वायरस की महामारी के चलते इस बार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम को भी काफी विचार-विमर्श के बाद रखा गया है. कोरोना वायरस से बचे रहने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग बहुत महत्वपूर्ण है. यही वजह है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा International Yoga Day 2020 की थीम - "Yoga For Health - Yoga From Home". रखी गई है. इसका मतलब 'सेहत के लिए योग - घर से योग" है.

योग दिवस कैसे मनाया जाता है?

योग प्रशिक्षण कार्यक्रम, शिविर, रिट्रीट, सेमिनार, कार्यशालाएं समूह और जन स्तर पर आयोजित की जाती हैं. लोग समूहों में इकट्ठे होते हैं और विभिन्न आसन और प्राणायाम करते हैं. उन्हें अभ्यास के महत्व और यह इलाज और उपचार में कैसे मदद करता है, इसके बारे में भी जागरूक किया जाता है.

18 हजार फीट की ऊंचाई पर योग

आईटीबीपी के जवानों ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर लद्दाख में 18 हजार फीट की ऊंचाई पर योग और प्राणायाम किया. लद्दाख में बर्फ से ढकी सफेद जमीन पर आईटीबीपी जवानों के एक दल ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर योग अभ्यास किया. इन जवानों ने लद्दाख में जिस जगह पर योग किया वहां तापमान जीरो डिग्री से नीचे है.

योग का पहला अंतरराष्ट्रीय दिवस कब मनाया गया था?

योग दिवस दुनियाभर में पहली बार 21 जून 2015 को मनाया गया और तबसे हर साल उस दिन को योग दिवस के तौर पर मनाय जाता है लेकिन यह पहला मौका होगा जब इसे डिजिटल तरीके से मनाया जा रहा है. 21 जून 2015 को पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस दुनिया के करीब 190 देशों ने मनाया था.

21 जून ही क्यों योग उत्सव का दिन चुना गया?

दरअसल उत्तरी गोलाद्र्ध में 21 जून सबसे लंबा दिन होता है. लिहाजा दुनिया के अधिकांश देशों में इस दिन का खासा महत्व है. आध्यात्मिक कार्यों के लिए भी यह दिन अत्यंत लाभकारी है. भारतीय मान्यता के अनुसार आदि योगी शिव ने इसी दिन मनुष्य जाति को योग विज्ञान की शिक्षा देनी शुरू की थी. इसके बाद वे आदि गुरु बने. इसीलिए 21 जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में चुना गया है.

योग दिवस के बारे में

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाये जाने की सिफारिश की गयी थी. इसके उपरांत 11 दिसम्बर 2014 संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इस प्रस्ताव को पारित करके प्रत्येक वर्ष इस दिन यह दिवस मनाये जाने की घोषणा की गयी. यह प्रस्ताव महासभा द्वारा विश्व स्वास्थ्य और विदेश नीति के तहत पारित किया गया ताकि विश्व भर में लोगों को बेहतर स्वास्थ्य वातावरण प्राप्त हो सके. अमेरिका, कनाडा, चीन एवं मिस्र सहित 177 देशों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया. Must read all...
@mamta_bhupesh मंत्री महोदया जी, कृपया #NTT_भर्ती_2018 के अंतिम रूप से चयनित अभ्यर्थियों की सूची जारी कीजिए
@DeptIcds
@ashokgehlot51
@GovindDotasra
🏖 टॉपिक :-राजस्थान की छतरियां 🏖

गैटोर की छतरियां – नाहरगढ़ (जयपुर) में स्थित है। ये कछवाहा शासको की छतरियां है। जयसिंह द्वितीय से मानसिंह द्वितीय की छतरियां है।

बड़ा बाग की छतरियां- जैसलमेर में स्थित है। – यहां भाटी शासकों की छतरियां स्थित है।

क्षारबाग की छतरियां – कोटा में स्थित है। – यहां हाड़ा शासकों की छतरियां स्थित है।

देवकुण्ड की छतरियां- रिड़मलसर (बीकानेर) में स्थित है। राव बीकाजी व रायसिंह की छतरियां प्रसिद्ध है।

छात्र विलास की छतरी- कोटा में स्थित है।

केसर बाग की छतरी- बूंदी में स्थित है।

जसवंत थड़ा- जोधपुर में स्थित है। सरदार सिंह द्वारा निर्मित है।

रैदास की छतरी- चित्तौड़गढ में स्थित है।

गोपाल सिंह यादव की छतरी- करौली में स्थित है।

08 खम्भों की छतरी- बांडोली (उदयपुर) में स्थित है। यह वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की छतरी है।

32 खम्भो की छातरी- राजस्थान में दो स्थानों पर 32-32 खम्भों की छतरियां है। मांडल गढ (भीलवाड़ा) में स्थित 32 खम्भों की छतरी का संबंध जगन्नाथ कच्छवाहा से है। रणथम्भौर (सवाई माधोपुर) में स्थित 32 खम्भों की छतरी हम्मीर देव चैहान की छतरी है।

80 खम्भों की छतरी – अलवर में स्थित हैं यह छतरी मूसी महारानी से संबंधित है।

84 खम्भों की छतरी- बूंदी में स्थित है। यह छतरी राजा अनिरूद के माता देव की छतरी है। यह छतरी भगवान शिव को समर्पित है।

16 खम्भों की छतरी – नागौर में स्थित हैं यह अमर सिंह की छतरी है। ये राठौड वंशीय थे।

टंहला की छतरीयां – अलवर में स्थित हैं।

आहड़ की छतरियां – उदयपुर में स्थित हैं इन्हे महासतियां भी कहते है।

राजा बख्तावर सिंह की छतरी- अलवर में स्थित है।

राजा जोधसिंह की छतरी- बदनौर (भीलवाडा) में स्थित है।

मानसिंह प्रथम की छतरी- आमेर (जयपुर) में स्थित है।

06 खम्भों की छतरी- लालसौट (दौसा) में स्थित है।

गोराधाय की छतरी- जोधपुर में स्थित हैं। अजीत सिंह की धाय मां की छतरी है।
@nexamHive