Forwarded from Ñeha Rathore
रंगनाथन के अनुसार, कितने वर्षों में कई संग्रह अपनी प्रासंगिकता खो देते हैं?
According to Ranganathan, many collections lose its relevance in how many years?
According to Ranganathan, many collections lose its relevance in how many years?
Anonymous Quiz
61%
20
19%
30
12%
40
8%
25
Forwarded from Ñeha Rathore
निम्नलिखित में से कौन सा एक ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर है?
Which of the following is an Open Source Software?
Which of the following is an Open Source Software?
Anonymous Quiz
19%
E-Granthalaya
18%
SOUL 2.0
57%
Koha
5%
LibSys 7
Forwarded from Ñeha Rathore
निम्नलिखित में से कौन सा सूचना का एक माध्यमिक स्रोत है?
Which of the following is a Secondary source of information?
Which of the following is a Secondary source of information?
Anonymous Quiz
12%
Journal
39%
Text book
22%
Bibliography of Bibliography
28%
Bibliography
Forwarded from Ñeha Rathore
शैनन और वीवर से संबंधित है
Shannon and Weaver related to
Shannon and Weaver related to
Anonymous Quiz
10%
Psycho-biology of language An introduction to dynamic philosophy
17%
Information is data of value to decision making
69%
Mathematical Theory of Information सूचना का गणितीय सिद्धांत
4%
Bradford's Law of Information
Forwarded from Ñeha Rathore
(सार्वजनिक पुस्तकालय अधिनियम) पुस्तकों का वितरण
Delivery of Books (Public Libraries Act) enacted in
Delivery of Books (Public Libraries Act) enacted in
Anonymous Quiz
10%
1978
10%
1946
10%
1967
70%
1954
Forwarded from Ñeha Rathore
भारत में एलआईएस में एमफिल और पीएचडी शुरू करने वाला पहला विश्वविद्यालय
First university to introduce MPhil and PhD in LIS in India
First university to introduce MPhil and PhD in LIS in India
Anonymous Quiz
9%
Aligarh Muslim University
3%
University of Calcutta
84%
University of Delhi
4%
University of Madras
Forwarded from Ñeha Rathore
Paul Otlet and Henri La Fontaine related to
Anonymous Quiz
9%
Sears List of Subject Heading
14%
Library of Congress Classification System
72%
UDC
4%
Dictionary Catalogue
Forwarded from Ñeha Rathore
The UNESCO Public Library Manifesto was last revised in
यूनेस्को पब्लिक लाइब्रेरी मेनिफेस्टो को अंतिम बार संशोधित किया गया था
यूनेस्को पब्लिक लाइब्रेरी मेनिफेस्टो को अंतिम बार संशोधित किया गया था
Anonymous Quiz
79%
1994
5%
1932
5%
1933
11%
1973
Forwarded from Ñeha Rathore
Peter A. Phyer related to
पीटर ए फायर से संबंधित है
पीटर ए फायर से संबंधित है
Anonymous Quiz
15%
UDC
17%
Living with book
65%
Zero Based Budget
2%
None of these
Forwarded from Ñeha Rathore
____वर्ष में एफआईडी को भंग कर दिया गया था
FID was dissolved in the year
FID was dissolved in the year
Anonymous Quiz
13%
2000
76%
2002
9%
2006
3%
2007
DRTC द्वारा प्रकाशित पत्रिका का नाम है
The name of the journal published by DRTC is
The name of the journal published by DRTC is
Anonymous Poll
23%
Indian Library Science Abstract
41%
Library Science with a slant to documentation
31%
Annuals of Library Science and documentation
5%
None of the above
संसाधन साझाकरण का एक हिस्सा है
Resource sharing is a part of
Resource sharing is a part of
Anonymous Poll
57%
Library Cooperation
15%
Library Administration
22%
Library Management
6%
Library Cataloguing
Annuals of library science and documentation published by
Library science with a slant to documentation
Library science with a slant to documentation
Forwarded from n Exam Hive (amit sharma)
राजस्थान के प्रमुख शिलालेख
शिलालेख का अर्थ
शिलालेख/अभिलेख – पत्थर की शिलाओं, दीवारों, स्तंभों आदि पर किसी भी प्रकार की जानकारी लिखी हुई मिलती हैं, उन्हें शिलालेख कहते है। शिलालेख पर किसी शासक की उपलब्धियों का यशोगान मिलता है, तो उसे प्रशस्ति कहते हैं।
भारत में पहली बार शिलालेख
भारत में पहली बार शिलालेख ईरानी राजा दारा प्रथम की प्रेरणा से महान मौर्य शासक अशोक ने लगाये थे। अशोक के शिलालेख एकाष्म थे। अभिलेखों का अध्ययन ’’एपिग्राफिक’’ कहलाता।
भारत में संस्कृत भाषा का प्रथम अभिलेख शक शासक रूद्रदामन का गुजरात से जूनागढ़ अभिलेख मिला है। अशोक के शिलालेखों में चार लिपियां थी – ब्राह्मी, खरोष्ठी, अरेमाईक, यूनानी। राजस्थान के शिलालेखों में संस्कृत व राजस्थानी भाषा मिलती है।
राजस्थान के महत्वपूर्ण इतिहासिक शिलालेख
बुचकला का शिलालेख-
बिलाड़ा, जोधपुर (815 ई.) यह लेख प्रतिहार शासक नागभट्ट द्वितीय का हैं, इस लेख की भाषा संस्कृत तथा लिपी उतर-भारती हैं।
घटियाला शिलालेख-
जोधपुर (861 ई.) यह लेख संस्कृत भाषा में हैं, यह शिलालेख एक जैन मन्दिर के पास हैं जिसे ‘‘माता का साल’’ भी कहते हैं।
राजस्थान में पहली बार सती प्रथा की जानकारी यही शिलालेख देता हैं इस शिलालेख के अनुसार राणुका की पत्नी सम्पल देवी सती हुई थी।
यह शिलालेख कुक्कुक प्रतिहार की जानकारी देता हैं। इस शिलालेख का लेखक मग तथा उत्कीर्णकर्ता कृष्णेश्व र हैं।
आदिवराह मन्दिर का लेख-
आहड़, उदयपुर (944 ई.)- ब्राह्मी लिपि में लिखित यह लेख मेवाड़ के शासक भृतहरि द्वितीय की जानकारी देता हैं।
प्रतापगढ़ का शिलालेख-
अग्रवाल की बावड़ी, प्रतापगढ़ (946 ई.)- डॉ. ओझा ने इसको अजमेर संग्रहालय में रखवाया था
इस शिलालेख की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस शिलालेख में संस्कृत भाषा के साथ कुछ प्रचलित देशी भाषाओं का भी उल्लेख हुआ हैं। प्रतिहार वंश के शासकों की नामावली भी इसी शिलालेख में हैं।
यह शिलालेख 10वीं सदी के धार्मिक जीवन, गाँवों की सीमा आदि पर प्रकाश डालता हैं। यह शिलालेख प्रतिहार शासक महेन्द्रदेव की जानकारी देता हैं।
सारणेश्वर/सांडनाथ प्रशस्ति- आहड़, उदयपुर (953 ई.)- इस प्रशस्ति की भाषा संस्कृत तथा लिपि देवनागरी, कायस्थ पाल व वेलाक हैं। इस प्रशस्ति में गुहिल वंश के शासक अल्लट की जानकारी मिलती हैं।
औंसिया का लेख-
जोधपुर (956 ई.)- इस लेख में मानसिंह को भूमि का स्वामी तथा वत्सराज को रिपुओं/शत्रुओं का दमन करने वाला कहा गया हैं।
यह शिलालेख वर्ण व्यवस्था की भी जानकारी देता हैं, इस शिलालेख के अनुसार समाज के प्रमुख 4 वर्ण- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्यक तथा शूद्र में विभाजित था।
विशेेेेष तथ्य – वर्ण व्यवस्था की पहली बार जानकारी ऋग्वेद के 10 वें मण्डल के पुरूष सूक्त से मिलती हैं। ऋग्वेद में 10 मण्डल व 1028 सूक्त हैं।
चितौड़ का लेख-
चितौड़ (971 ई.)- इस शिलालेख की एक प्रतिलिपि अहमदाबाद में भारतीय मन्दिर में संग्रहित हैं तथा इस शिलालेख में स्त्रियों का देवालय में प्रवेश निषेध बताया गया हैं।
नाथ प्रशस्ति- एकलिंग जी, कैलाशपुरी, उदयपुर (971 ई.)- इसकी भाषा संस्कृत तथा लिपि देवनागरी हैं, इस प्रशस्ति में मेवाड़ के राजनीतिक व सांस्कृतिक इतिहास का अच्छे से वर्णन मिलता हैं।
हर्षनाथ प्रशस्ति- रैवासा, सीकर (973 ई.)- यह प्रशस्ति चैहान वंश के शासक विग्रहराज के समय की हैं, इस प्रशस्ति के अनुसार हर्ष मन्दिर का निर्माण विग्रहराज के सामन्त अल्लट ने करवाया था। इस प्रशस्ति में वागड़ के लिए वार्गट शब्द का प्रयोग हुआ हैं।
हस्तिकुण्डी शिलालेख-
सिरोही (996 ई.)- यह शिलालेख वर्तमान में अजमेर संग्रहालय में सुरक्षित हैं, तथा इस शिलालेख में संस्कृत में सूर्याचार्य शब्द का प्रयोग हुआ हैं।
अर्थूणा प्रशस्ति- मण्डलेश्वकर मन्दिर, बांसवाड़ा (1079 ई.)- इस प्रशस्ति की रचना विजय ने की थी, इस प्रशस्ति में बागड़ के परमार मालवा के परमार वंशी राजा वाक्पतिराज के दूसरे पुत्र डंवर के वंशज थे और उनके अधिकार में बागड़ तथा छप्पन का प्रदेश था।
जालौर का लेख-
जालौर (1118 ई.)- इस शिलालेख के अनुसार परमारों की उत्पति वशिष्ट मुनि के यज्ञ से हुई तथा परमारों की जालौर शाखा के प्रवर्तक वाक्पतिराज को बताया था।
नाडोल का शिलालेख-
पाली (1141ई.) यह शिलालेख नाडोल के सोमेश्व र के मन्दिर का हैं तथा इस शिलालेख में तत्कालीन राजस्थान की प्रशासनिक व्यवस्था का उल्लेख मिलता हैं।
घाणेराव का शिलालेख-
पाली (1156 ई.) इस शिलालेख में 12 वीं सदी की राजस्थान की स्थिति को दर्शाया गया हैं।
बड़ली का शिलालेख-
अजमेर (443 ई.पू.)- यह राजस्थान का सबसे प्राचीन तथा भारत का प्रियवा शिलालेख के बाद दूसरा सबसे प्राचीन शिलालेख है।
घोसुण्डी शिलालेख-
नगरी, चितौड़गढ़ (द्वितीय शताब्दी ई. पू.) यह ब्राह्मी तथा संस्कृत दोनों भाषाओें में हैं। इसका एक टुकड़ा उदयपुर संग्रहालय में रखा गया है।
राजस्थान मे
शिलालेख का अर्थ
शिलालेख/अभिलेख – पत्थर की शिलाओं, दीवारों, स्तंभों आदि पर किसी भी प्रकार की जानकारी लिखी हुई मिलती हैं, उन्हें शिलालेख कहते है। शिलालेख पर किसी शासक की उपलब्धियों का यशोगान मिलता है, तो उसे प्रशस्ति कहते हैं।
भारत में पहली बार शिलालेख
भारत में पहली बार शिलालेख ईरानी राजा दारा प्रथम की प्रेरणा से महान मौर्य शासक अशोक ने लगाये थे। अशोक के शिलालेख एकाष्म थे। अभिलेखों का अध्ययन ’’एपिग्राफिक’’ कहलाता।
भारत में संस्कृत भाषा का प्रथम अभिलेख शक शासक रूद्रदामन का गुजरात से जूनागढ़ अभिलेख मिला है। अशोक के शिलालेखों में चार लिपियां थी – ब्राह्मी, खरोष्ठी, अरेमाईक, यूनानी। राजस्थान के शिलालेखों में संस्कृत व राजस्थानी भाषा मिलती है।
राजस्थान के महत्वपूर्ण इतिहासिक शिलालेख
बुचकला का शिलालेख-
बिलाड़ा, जोधपुर (815 ई.) यह लेख प्रतिहार शासक नागभट्ट द्वितीय का हैं, इस लेख की भाषा संस्कृत तथा लिपी उतर-भारती हैं।
घटियाला शिलालेख-
जोधपुर (861 ई.) यह लेख संस्कृत भाषा में हैं, यह शिलालेख एक जैन मन्दिर के पास हैं जिसे ‘‘माता का साल’’ भी कहते हैं।
राजस्थान में पहली बार सती प्रथा की जानकारी यही शिलालेख देता हैं इस शिलालेख के अनुसार राणुका की पत्नी सम्पल देवी सती हुई थी।
यह शिलालेख कुक्कुक प्रतिहार की जानकारी देता हैं। इस शिलालेख का लेखक मग तथा उत्कीर्णकर्ता कृष्णेश्व र हैं।
आदिवराह मन्दिर का लेख-
आहड़, उदयपुर (944 ई.)- ब्राह्मी लिपि में लिखित यह लेख मेवाड़ के शासक भृतहरि द्वितीय की जानकारी देता हैं।
प्रतापगढ़ का शिलालेख-
अग्रवाल की बावड़ी, प्रतापगढ़ (946 ई.)- डॉ. ओझा ने इसको अजमेर संग्रहालय में रखवाया था
इस शिलालेख की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस शिलालेख में संस्कृत भाषा के साथ कुछ प्रचलित देशी भाषाओं का भी उल्लेख हुआ हैं। प्रतिहार वंश के शासकों की नामावली भी इसी शिलालेख में हैं।
यह शिलालेख 10वीं सदी के धार्मिक जीवन, गाँवों की सीमा आदि पर प्रकाश डालता हैं। यह शिलालेख प्रतिहार शासक महेन्द्रदेव की जानकारी देता हैं।
सारणेश्वर/सांडनाथ प्रशस्ति- आहड़, उदयपुर (953 ई.)- इस प्रशस्ति की भाषा संस्कृत तथा लिपि देवनागरी, कायस्थ पाल व वेलाक हैं। इस प्रशस्ति में गुहिल वंश के शासक अल्लट की जानकारी मिलती हैं।
औंसिया का लेख-
जोधपुर (956 ई.)- इस लेख में मानसिंह को भूमि का स्वामी तथा वत्सराज को रिपुओं/शत्रुओं का दमन करने वाला कहा गया हैं।
यह शिलालेख वर्ण व्यवस्था की भी जानकारी देता हैं, इस शिलालेख के अनुसार समाज के प्रमुख 4 वर्ण- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्यक तथा शूद्र में विभाजित था।
विशेेेेष तथ्य – वर्ण व्यवस्था की पहली बार जानकारी ऋग्वेद के 10 वें मण्डल के पुरूष सूक्त से मिलती हैं। ऋग्वेद में 10 मण्डल व 1028 सूक्त हैं।
चितौड़ का लेख-
चितौड़ (971 ई.)- इस शिलालेख की एक प्रतिलिपि अहमदाबाद में भारतीय मन्दिर में संग्रहित हैं तथा इस शिलालेख में स्त्रियों का देवालय में प्रवेश निषेध बताया गया हैं।
नाथ प्रशस्ति- एकलिंग जी, कैलाशपुरी, उदयपुर (971 ई.)- इसकी भाषा संस्कृत तथा लिपि देवनागरी हैं, इस प्रशस्ति में मेवाड़ के राजनीतिक व सांस्कृतिक इतिहास का अच्छे से वर्णन मिलता हैं।
हर्षनाथ प्रशस्ति- रैवासा, सीकर (973 ई.)- यह प्रशस्ति चैहान वंश के शासक विग्रहराज के समय की हैं, इस प्रशस्ति के अनुसार हर्ष मन्दिर का निर्माण विग्रहराज के सामन्त अल्लट ने करवाया था। इस प्रशस्ति में वागड़ के लिए वार्गट शब्द का प्रयोग हुआ हैं।
हस्तिकुण्डी शिलालेख-
सिरोही (996 ई.)- यह शिलालेख वर्तमान में अजमेर संग्रहालय में सुरक्षित हैं, तथा इस शिलालेख में संस्कृत में सूर्याचार्य शब्द का प्रयोग हुआ हैं।
अर्थूणा प्रशस्ति- मण्डलेश्वकर मन्दिर, बांसवाड़ा (1079 ई.)- इस प्रशस्ति की रचना विजय ने की थी, इस प्रशस्ति में बागड़ के परमार मालवा के परमार वंशी राजा वाक्पतिराज के दूसरे पुत्र डंवर के वंशज थे और उनके अधिकार में बागड़ तथा छप्पन का प्रदेश था।
जालौर का लेख-
जालौर (1118 ई.)- इस शिलालेख के अनुसार परमारों की उत्पति वशिष्ट मुनि के यज्ञ से हुई तथा परमारों की जालौर शाखा के प्रवर्तक वाक्पतिराज को बताया था।
नाडोल का शिलालेख-
पाली (1141ई.) यह शिलालेख नाडोल के सोमेश्व र के मन्दिर का हैं तथा इस शिलालेख में तत्कालीन राजस्थान की प्रशासनिक व्यवस्था का उल्लेख मिलता हैं।
घाणेराव का शिलालेख-
पाली (1156 ई.) इस शिलालेख में 12 वीं सदी की राजस्थान की स्थिति को दर्शाया गया हैं।
बड़ली का शिलालेख-
अजमेर (443 ई.पू.)- यह राजस्थान का सबसे प्राचीन तथा भारत का प्रियवा शिलालेख के बाद दूसरा सबसे प्राचीन शिलालेख है।
घोसुण्डी शिलालेख-
नगरी, चितौड़गढ़ (द्वितीय शताब्दी ई. पू.) यह ब्राह्मी तथा संस्कृत दोनों भाषाओें में हैं। इसका एक टुकड़ा उदयपुर संग्रहालय में रखा गया है।
राजस्थान मे
Resource sharing is a part of
(A) Library Cooperation
(B) Library Administration
(C) Library Management
(D) Library Cataloguing
(A) Library Cooperation
(B) Library Administration
(C) Library Management
(D) Library Cataloguing
What is the modified and developed name of library cooperation ?
पुस्तकालय सहयोग का संशोधित और विकसित नाम क्या है?
(A) Cooperative working (B) Resource sharing (C) Library networking (D) Cooperative library
पुस्तकालय सहयोग का संशोधित और विकसित नाम क्या है?
(A) Cooperative working (B) Resource sharing (C) Library networking (D) Cooperative library
What is the meaning of inter library loan ?
अंतर पुस्तकालय ऋण का अर्थ क्या है?
(A) Loan of library
(B) Loan of books
(C) Loan of money
(D) Loan of books from other libraries
अंतर पुस्तकालय ऋण का अर्थ क्या है?
(A) Loan of library
(B) Loan of books
(C) Loan of money
(D) Loan of books from other libraries
Shared cataloguing is an example of
साझा कैटलॉगिंग इसका एक उदाहरण है
(A) union catalogue
(B) centralized cataloguing
(C) resource sharing
(D) inter library loan
साझा कैटलॉगिंग इसका एक उदाहरण है
(A) union catalogue
(B) centralized cataloguing
(C) resource sharing
(D) inter library loan
Regression analysis in concerms with prediction of
____की भविष्यवाणी के साथ संगमन में प्रतिगमन विश्लेषण
(A) Independent variable
(B) Dependent variable
(C) Constants
(D) None of these
____की भविष्यवाणी के साथ संगमन में प्रतिगमन विश्लेषण
(A) Independent variable
(B) Dependent variable
(C) Constants
(D) None of these
Inter Library Resources Centre established in India at
भारत में स्थापित इंटर लाइब्रेरी रिसोर्स सेंटर
(A) J.N.U. New Delhi
(B) National Information Centre (C) INSDOC
(D) DELNET
भारत में स्थापित इंटर लाइब्रेरी रिसोर्स सेंटर
(A) J.N.U. New Delhi
(B) National Information Centre (C) INSDOC
(D) DELNET