Forwarded from RAJ Computer Teacher UPPCL Quiz 2020 (cisco)
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मेवाड़ प्रजामंडल की स्थापना जिसके द्वारा की गई, वह है ?
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3%
पं गौरी शंकर
16%
मोहन लाल सुखाड़िया
71%
माणिक्य लाल वर्मा
10%
भोगी लाल पंड्या
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राजस्थान का पूरा क्षेत्रफल भारत का लगभग ?
Anonymous Quiz
5%
5 % है
19%
9 % है
72%
11 % है
4%
15 % है
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राजस्थान का वह नृत्य जिसने भारत में अपनी पहचान बनाई है, है ?
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3%
डांडिया
94%
घूमर
2%
नेजा
1%
गेर
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वनस्पति विद्यापीठ की स्थापना किसने की थी ?
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23%
जयनारायण व्यास
56%
हीरालाल शास्त्री
8%
भैरोसिंह शेखावत
13%
हरिदेव जोशी
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राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय जिसकी स्थापना 1987 ई. में हुई किस स्थान पर स्थित है ?
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23%
उदयपुर
19%
जोधपुर
11%
अजमेर
47%
बीकानेर
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राजस्थान से प्राप्त अशोक का भाब्रू-बैराट लघु शिलालेख संबोधित है ?
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27%
आम जनता को
42%
पुरोहितों को
24%
राजकीय कर्मचारी को
8%
इनमें से कोई नहीं
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राजस्थान में खेल जगत का सर्वोच्च सम्मान दिया जाता है ?
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9%
गुरु वशिष्ठ आवार्ड
4%
जवाहर आवार्ड
38%
महाराणा प्रताप अवार्ड
48%
राजस्थान खेल रत्न आवार्ड
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राजस्थान में लिम्बा राम प्रसिद्ध हैं ?
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9%
कबड्डी में
9%
गायन में
74%
तीरंदाजी में
8%
कुश्ती में
Forwarded from n Exam Hive (amit sharma)
को ‘‘रघुवंश तिलक’’ कहा गया हैं।
जगन्नाथराय प्रशस्ति- उदयपुर (1652 ई.)- यह प्रशस्ति उदयपुर के जगदीश जी के मन्दिर में लगी हुई हैं, इसमें बप्पा से लेकर जगतसिंह तक के मेवाड़ शासकों की उपलब्धियों का वर्णन मिलता है। यह प्रशस्ति हल्दीघाटी के युद्ध का भी उल्लेख करती हैं।
राजप्रशस्ति-
राजसमन्द झील, (1676 ई.) यह प्रशस्ति राजसमन्द झील के उतरी भाग के 9 चैकी पाल पर लिखी हुई है तथा यह प्रशस्ति 25 शिलालेखों पर रणछोड़ भट्ट द्वारा संस्कृत भाषा मे लिखी गई हैं।
यह एशिया की सबसे बड़ी प्रशस्ति है। इस प्रशस्ति में मुगल- मेवाड़ के बीच संधि का उल्लेख है। यह सन्धि जहांगीर व अमरसिंह के मध्य हुई थी।
इस प्रशस्ति में राजसिंह व जगतसिंह की उपलब्धियों का वर्णन हैं। इस प्रशस्ति में राजसिंह के समय का विषद् वर्णन हैं, तथा इस प्रशस्ति में ही उल्लेख है कि राजसमन्द झील का निर्माण अकाल राहत कार्य के लिए हुआ था, जिसका 14 वर्षों में कार्य पूर्ण हुआ।
वैद्यनाथ मन्दिर प्रशस्ति-
सीसाराम गाँव, उदयपुर(1719 ई.)- यह प्रशस्ति पिछोला झील के पास वैद्यनाथ मन्दिर में स्थित हैं, इस प्रशस्ति के अनुसार हारितऋषि के आशिर्वाद से बप्पारावल को राज्य की प्राप्ति हुई थी।
इसकी रचना रूपभट्ट ने की थी, इस प्रशस्ति में संग्रामसिंह द्वितीय तथा मुगल सेनापति रणबाज खाँ के मध्य बाँदनवाड़ के युद्ध का वर्णन हैं।
राजस्थान में कई स्थानों से फारसी भाषा के भी शिलालेख मिले है-
अजमेर का फारसी लेख- अजमेर, (1200 ई.)- यह राजस्थान में फारसी भाषा का सबसे प्राचीन शिलालेख है जो अढ़ाई दिन के झोंपड़े की दीवार पर लगा हुआ हैं।
बरबन्द का लेख- बयाना, भरतपुर (1613 ई.)-इस शिलालेख के अनुसार अकबर की पत्नी (मरियमउज्जमानी) की आज्ञा से अकबर ने यहाँ पर एक बाग व बावड़ी का निर्माण करवाया गया।
पुष्कर का जहांगीरी महल शिलालेख- अजमेर (1615 ई.)
दरगाह बाजार की मस्जिद लेख- अजमेर (1652 ई.) इस शिलालेख के अनुसार मस्जिद का निर्माण प्रसिद्ध संगीतज्ञ तानसेन की पुत्री तिलोकदी ने 1652 ई. में करवाया था।
शांहजहानी मस्जिद शिलालेख- अजमेर (1637 ई.)
कनाती मस्जिद का लेख- नागौर (1641 ई.) इस शिलालेख के अनुसार अनेक चैहान शासक मुसलमान बन गये थे।
मकराना की बावड़ी का लेख- नागौर (1651 ई.) इस शिलालेख से जाति प्रथा का बोध होता हैं।
शांहजहानी दरवाजा का लेख- अजमेर (1654 ई.)
अमरपुर का लेख- नागौर (1655 ई.)
बकालिया का लेख- नागौर (1670 ई.)
जामी मस्जिद का लेख- मेड़ता, नागौर (1807 ई.)
जामा मस्जिद का लेख- भरतपुर (1845 ई.)
राजस्थान राज्य अभिलेखागार की स्थापना जयपुर में 1955 ई. में की गई थी जिसका मुख्यालय 1960 में जयपुर से बीकानेर स्थानान्तरित कर दिया गया था। इस अभिलेखागार में उर्दू व फारसी के अभिलेख स्थित है।
जोधपुर संग्रहालय में मारवाड़ रियासत के पुराने रिकॉर्ड है जिन्हें ‘‘दस्त्री रिकार्ड’’ कहा जाता है। यहाँ पर स्थित अभिलेख 1614 से 1949 ई. के है।
साम्भर की मस्जिद का लेख – जयपुर (1697 ई.) इस शिलालेख के अनुसार औरंगजेब के शासनकाल में एक मन्दिर की जगह शाहसब्ज अली द्वारा यहाँ पर मस्जिद बनाई गई।
जगन्नाथराय प्रशस्ति- उदयपुर (1652 ई.)- यह प्रशस्ति उदयपुर के जगदीश जी के मन्दिर में लगी हुई हैं, इसमें बप्पा से लेकर जगतसिंह तक के मेवाड़ शासकों की उपलब्धियों का वर्णन मिलता है। यह प्रशस्ति हल्दीघाटी के युद्ध का भी उल्लेख करती हैं।
राजप्रशस्ति-
राजसमन्द झील, (1676 ई.) यह प्रशस्ति राजसमन्द झील के उतरी भाग के 9 चैकी पाल पर लिखी हुई है तथा यह प्रशस्ति 25 शिलालेखों पर रणछोड़ भट्ट द्वारा संस्कृत भाषा मे लिखी गई हैं।
यह एशिया की सबसे बड़ी प्रशस्ति है। इस प्रशस्ति में मुगल- मेवाड़ के बीच संधि का उल्लेख है। यह सन्धि जहांगीर व अमरसिंह के मध्य हुई थी।
इस प्रशस्ति में राजसिंह व जगतसिंह की उपलब्धियों का वर्णन हैं। इस प्रशस्ति में राजसिंह के समय का विषद् वर्णन हैं, तथा इस प्रशस्ति में ही उल्लेख है कि राजसमन्द झील का निर्माण अकाल राहत कार्य के लिए हुआ था, जिसका 14 वर्षों में कार्य पूर्ण हुआ।
वैद्यनाथ मन्दिर प्रशस्ति-
सीसाराम गाँव, उदयपुर(1719 ई.)- यह प्रशस्ति पिछोला झील के पास वैद्यनाथ मन्दिर में स्थित हैं, इस प्रशस्ति के अनुसार हारितऋषि के आशिर्वाद से बप्पारावल को राज्य की प्राप्ति हुई थी।
इसकी रचना रूपभट्ट ने की थी, इस प्रशस्ति में संग्रामसिंह द्वितीय तथा मुगल सेनापति रणबाज खाँ के मध्य बाँदनवाड़ के युद्ध का वर्णन हैं।
राजस्थान में कई स्थानों से फारसी भाषा के भी शिलालेख मिले है-
अजमेर का फारसी लेख- अजमेर, (1200 ई.)- यह राजस्थान में फारसी भाषा का सबसे प्राचीन शिलालेख है जो अढ़ाई दिन के झोंपड़े की दीवार पर लगा हुआ हैं।
बरबन्द का लेख- बयाना, भरतपुर (1613 ई.)-इस शिलालेख के अनुसार अकबर की पत्नी (मरियमउज्जमानी) की आज्ञा से अकबर ने यहाँ पर एक बाग व बावड़ी का निर्माण करवाया गया।
पुष्कर का जहांगीरी महल शिलालेख- अजमेर (1615 ई.)
दरगाह बाजार की मस्जिद लेख- अजमेर (1652 ई.) इस शिलालेख के अनुसार मस्जिद का निर्माण प्रसिद्ध संगीतज्ञ तानसेन की पुत्री तिलोकदी ने 1652 ई. में करवाया था।
शांहजहानी मस्जिद शिलालेख- अजमेर (1637 ई.)
कनाती मस्जिद का लेख- नागौर (1641 ई.) इस शिलालेख के अनुसार अनेक चैहान शासक मुसलमान बन गये थे।
मकराना की बावड़ी का लेख- नागौर (1651 ई.) इस शिलालेख से जाति प्रथा का बोध होता हैं।
शांहजहानी दरवाजा का लेख- अजमेर (1654 ई.)
अमरपुर का लेख- नागौर (1655 ई.)
बकालिया का लेख- नागौर (1670 ई.)
जामी मस्जिद का लेख- मेड़ता, नागौर (1807 ई.)
जामा मस्जिद का लेख- भरतपुर (1845 ई.)
राजस्थान राज्य अभिलेखागार की स्थापना जयपुर में 1955 ई. में की गई थी जिसका मुख्यालय 1960 में जयपुर से बीकानेर स्थानान्तरित कर दिया गया था। इस अभिलेखागार में उर्दू व फारसी के अभिलेख स्थित है।
जोधपुर संग्रहालय में मारवाड़ रियासत के पुराने रिकॉर्ड है जिन्हें ‘‘दस्त्री रिकार्ड’’ कहा जाता है। यहाँ पर स्थित अभिलेख 1614 से 1949 ई. के है।
साम्भर की मस्जिद का लेख – जयपुर (1697 ई.) इस शिलालेख के अनुसार औरंगजेब के शासनकाल में एक मन्दिर की जगह शाहसब्ज अली द्वारा यहाँ पर मस्जिद बनाई गई।