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dsssb assistant Nursery teacher exam 2024
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क्रिया के जिस रूप से क्रिया प्रक्रिया अर्थात क्रिया व्यापार का बोध होता है ,उसे क्रिया का पक्ष कहते हैं ! यह क्रिया- व्यापार दो दृष्टियों से देखा जा सकता है ! पहली दृष्टि से हम देखते हैं कि क्रिया की प्रक्रिया आरंभ होने वाली है अथवा आरंभ हो चुकी है, अथवा वर्तमान में चालू है अथवा हो चुकी है ! दूसरी दृष्टि में क्रिया -प्रक्रिया को एक इकाई के रूप में देखते हैं !

पक्ष के प्रकार

1 . (i) आरंभदयोतक पक्ष

(ii) सातप्यबोधक पक्ष

(iii) प्रगतिदयोतक पक्ष

(iv) पूर्णतादयोतक पक्ष

2. (i) नित्यतादयोतक पक्ष
(ii) अभ्यासदयोतक पक्ष
1 . (i) आरंभदयोतक पक्ष

इस पक्ष में क्रिया के आरंभ होने की स्थिति का बोध होता है ,

जैसे की – अब मोहन खेलने लगा है !

(ii) सातप्यबोधक पक्ष

इससे क्रिया की प्रक्रिया के चालू रहने का बोध होता है ,

जैसे की – गीता कितना अच्छा गा रही है !

(iii) प्रगतिदयोतक पक्ष

इससे क्रिया की निरंतर प्रगति का बोध होता है ,

जैसे की –भीड़ बढ़ती जा रही है !

(iv) पूर्णतादयोतक पक्ष

इस पक्ष से क्रिया के पूरी तरह समाप्त हो जाने का बोध होता है,
जैसे की –वह अब तक काफी खेल चूका है !